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Aankhen Tarasti Hain Ya Rab Mujh Ko Baagh-e-Madina Dikha De Lyrics

Aankhen Tarasti Hain Ya Rab Mujh Ko Baagh-e-Madina Dikha De Lyrics





शहर-ए-मदीना याद आया है, वो भी इतनी रात-गए
'इश्क़-ए-नबी में दिल तड़पा है, वो भी इतनी रात-गए

मेरी आँखें तरसती हैं, या रब !
मुझ को बाग़-ए-मदीना दिखा दे
प्यार से ज़िंदगी देने वाले !
मुझ को प्यारे नबी से मिला दे

कर्बला में हुसैन इब्न-ए-हैदर
हक़ से फ़रमाया ख़ूँ में नहा कर
ताज-ए-शाही यज़ीदों को दे कर
मुझ को जाम-ए-शहादत पिला दे

ले के तलवार फ़ारूक़ घर से
क़त्ल करने चले थे नबी को
पास पहुँचे तो की 'अर्ज़ रो कर
मेरे महबूब ! कलमा पढ़ा दे

तन पे खा खा के ज़ालिम के कोड़े
हँस के बोले बिलाल-ए-हब्शी
मैं न छोड़ूँगा दामन नबी का
बे-हया चाहे जितनी सज़ा दे

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