Mujh Khatakar Sa Insan Madine Mein Rahe Lyrics
Mujh Khatakar Sa Insan Madine Mein Rahe Lyrics
मुझ ख़ता-कार सा इंसान मदीने में रहे
बन के सरकार का मेहमान मदीने में रहे
याद आती है मुझे अहल-ए-मदीना की वो बात
ज़िंदा रहना हो तो इंसान मदीने में रहे
अल्लाह अल्लाह ! सर-अफ़राज़ी-ए-सहरा-ए-हिजाज़
सारी मख़्लूक़ का सुल्तान मदीने में रहे
दूर रह कर भी उठाता हूँ हुज़ूरी के मज़े
मैं यहाँ और मेरी जान मदीने में रहे
यूँ अदा करते हैं 'उश्शाक़ मोहब्बत की नमाज़
सज्दा का'बे में हो और ध्यान मदीने में रहे
उन की शफ़क़त ग़म-ए-कौनैन भुला देती है
जितने दिन आप का मेहमान मदीने में रहे
छोड़ आया हूँ दिल-ओ-जान ये कह कर, आ'ज़म !
आ रहा हूँ, मेरा सामान मदीने में रहे
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